सत्ता में आने के बाद इस सरकार ने मुसलमानों के कई पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप करने की कोशिश की थी. हज सब्सिडी से लेकर मुसलमानों से जुड़े तलाक के मामले को भी अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए बदला गया. लेकिन अब इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से बड़ा बयान आया है. आपको बता दें कि बोर्ड का कहना है कि मुसलमानों में होने वाले तलाक के मामले को गलत तरीके से पेश किया,
जा रहा है. बोर्ड का कहना है कि देश में बाकी मज़हब के लोगों के मुकाबले मुसलमानों में तलाक के मामले सबसे कम हैं. आपको अत दें कि बोर्ड की तरफ से यह बात तफहीम एशरीयत कमेटी के एक सेमीनार में कही गई है. इसे लेकर दारूल कजा कमेटी के संयोजक मौलाना अतीक अहमद बस्तवी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि मुसलमानों के तलाक को इस तरह आज कल पेश किया जा रहा है जैसे मानों देश के हर मुसलमान,
के घरों में इस तरह के मामले पाए जाते हैं. उन्होंने कहा है कि ऐसे लोग हकीक़त से अंजान हैं. आकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा है कि देश में मुसलमानों में तलाक के मामले सबसे कम हैं. उन्होंने कहा है कि दारुल कजा में तलाक के मामले को बेहद कम समय और खर्च में निपटारा किया जा रहा है. उन्होंने कहा है कि तलाक की सबसे बड़ी वजह गलतफहमियां भी होती हैं.उन्होंने कहा है कि समझाने के बाद भी पति और पत्नी,
साथ रहने में राज़ी न हो तो शरियत उन्हें इस बात की इज़ाज़त देता है कि अगर दोनों के बीच रजा मंदी से समझौता न हो पाए तो दोनों अलग हो जाएँ. उन्होंने आगे कहा है कि ऐसे मामले में शरियत ने महिलाओं को भी अधिकार दिया है. उन्होंने कहा है कि महिलायें खुला या फिर तफरीक के जरिए शादी से अलग हो सकती हैं.
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