इस्लाम और मुसलमानों से करता था बेइंतहा नफरत, मस्जिद को ब’म से उड़ाने का ख्वाब देखने वाला शख्स मुसलमान बना .. - Islamic news

Friday, April 5, 2019

इस्लाम और मुसलमानों से करता था बेइंतहा नफरत, मस्जिद को ब’म से उड़ाने का ख्वाब देखने वाला शख्स मुसलमान बना ..







मुसलमानों और इस धर्म को मानने वालों से हमेशा नफरत करता रहा लेकिन एक घटना ने उसे ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि कि इस्लाम धर्म ही सच्चा धर्म है। मुसलमान से नफरत करने वाला शख्स आखिरकार मुसलमान बन गया। इस अफसर ने इस्लाम धर्म क्यू अपनाया , इस पर उसने आश्चर्यजनक बातें बताई। द संडे प्रोजेक्ट ले रिचर्ड मैकिने नाम के एक शख्स ने अपनी अनोखी कहानी शेयर की है। इंडियाना के रिटायर्ड मैरून अफसर रिचर्ड को पहले मुसलमानों से सख्त नफरत थी।





वह मुसलमानों को देखते ही उन्हें मौत के घाट उतार देनें का प्लान बनाने लगता था। आखिरकार रिचर्ड की नफरत प्यार में बदल गई। रिचर्ड ने कहा कि एक दिन वह अपनी पत्नी का साथ एक दुकान पर पहुँचे। उन्होनें दुकान पर काले बुर्के में दो महिलाओं को देखा। रिचर्ड ने कहा कि उन्होनें प्राथना कि उन्हें इतनी ताकत मिले कि मैं उन महिलाओं के पास जाऊँ और उन बुर्के वाली महिलाओं की गर्दन मोड़ दूँ। लेकिन वो रुक गए और इससे ज्यादा खतरनाक प्लान बनाया।
वो ब’म बनाने की सोच रहे थे और इसे इस्लामिक सेंट से बाहर रखकर उसे उड़ाने की ख्वाब देख रहे थे। रिचर्ड ने सोचा कि वो दूर से बैठकर ये सब देखेगें। उन्होनें कहा कि मेरी 200 से ज्यादा लोगों को मारने की योजना थी। इस्लाम की नफरत ने मुझे जिंदा रखा हुआ था। इसी बीच रिचर्ड ने सोचा कि इन्हे एक मौका दिया जाना चाहिए। वह स्थानिय इस्लामिक सेंटर गए और वहाँ उन्हें कुरआन दी गई। वह उसे घर से गए और पढ़ने लगा। रिचर्ड घर पर कुरआन लेकर गए और उसे पढ़ा उसके 8 सप्ताह बाद वह इस्लाम धर्म अपना चुके थे।





कुछ सालों बाद वह इस्लामिक सेंटर के अध्यक्ष बन गए। जिसे वे कभी बन से उड़ाने का विचार करते थे। उन्होनें बताया कि एक दिन में मुसलमान के बारे गलत सोचता था, उनके बारे में मेरे गलत विचार थे लेकिन मेरी बेटी मुझे हिमाकत भरी नज़रों से देखती थी। उसके बर्ताव ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया। मैकिने रिचर्ड ने कहा कि न्युजीलेंड में क्राइस्चर्च में मस्जिद में हुए आंतकी हमले के दोषी ब्रेंडन टैरेंट के भीतर अपने पुराने मैकेजी को देख रहा था।
रिचर्ड ने कहा जिसने ऐसा अपराध किया, जजिसनेकई मासुमों की जान ली वह मैं ही था। हम एक ही तरह के लोग थे। मैकेजी ने कहा कि जब वो पहली बार इस्लामिक सेंटर गए थे तो उनका अभिवादन एक मुस्कुराहट के साथ हुआ था। इन सबने मुझे पिघला दिया। इससे में पहले से ज्यादा खुले दिमाग से सोचने लगा। मैने काफी सोचा, विचार किया इसके बाद मैने दूसरों को सुना। लेकिन न्युजीलैंड के हमलावर ने ऐसा नहीं किया।

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